


गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर बोलते हुए एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक ईमानदारी और जवाबदेही का प्रमाण है, क्योंकि इसमें यह प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री को किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है और जेल जाना पड़ता है, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा देना होगा।
अमित शाह बोले – "पीएम मोदी ने अपने खिलाफ संशोधन लाया
गृह मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा: नरेंद्र मोदी जी ने खुद अपने खिलाफ एक संवैधानिक संशोधन लाया है। अगर प्रधानमंत्री जेल गए, तो उन्हें इस्तीफा देना होगा। इस संशोधन में प्रधानमंत्री पद को स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है।" उन्होंने इस संदर्भ में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल के दौरान लाए गए 39वें संशोधन का भी ज़िक्र किया, जिसमें प्रधानमंत्री सहित कुछ संवैधानिक पदों को न्यायिक समीक्षा से बाहर रखने का प्रयास किया गया था।
इंदिरा गांधी का 39वां संशोधन बनाम मोदी सरकार का 130वां संशोधन
बिंदु39वां संशोधन (1975)130वां संशोधन (2025) | ||
प्रस्तावक | इंदिरा गांधी सरकार | नरेंद्र मोदी सरकार |
प्रभाव | पीएम, राष्ट्रपति आदि को न्यायिक समीक्षा से छूट | पीएम दोषी होने पर इस्तीफा देना होगा |
मंशा | सत्ता की रक्षा | सत्ता की जवाबदेही |
130वें संशोधन विधेयक के मुख्य प्रावधान
- प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति यदि किसी गंभीर आपराधिक मामले में दोषी पाए जाते हैं
- उन्हें तत्काल इस्तीफा देना अनिवार्य होगा
- संसदीय और न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत करने का दावा
- राजनीतिक शुचिता और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में पहल
जवाबदेही का नया पैमाना
अमित शाह ने कहा कि यह संविधान संशोधन भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को और मजबूत बनाएगा। उन्होंने कहा - यह कदम दिखाता है कि प्रधानमंत्री खुद को भी कानून से ऊपर नहीं मानते। अगर वह दोषी साबित होते हैं, तो वो पद पर नहीं रह सकते — यही सच्चा लोकतंत्र है।" 30वां संविधान संशोधन विधेयक भारत की राजनीतिक संस्कृति में बदलाव की ओर एक साहसिक कदम है। यह विधेयक बताता है कि अधिकार के साथ उत्तरदायित्व भी जरूरी है — और जब देश का सर्वोच्च नेता खुद को भी इसी कसौटी पर रखता है, तो यह लोकतंत्र की जीत है।